तेजपुर विश्वविद्यालय में विश्व पर्यावरण दिवस पर “प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन” पर संवाद
पर्यावरण जागरूकता और हरित भविष्य की दिशा में सामूहिक पहल
तेजपुर, असम :तेजपुर विश्वविद्यालय (Tezpur University) के पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय परिसर में वृक्षारोपण अभियान से हुई, जिसमें कुलपति प्रो. शंभूनाथ सिंह और श्री अंकुर भराली, उपायुक्त, सोनितपुर, सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी और छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पर संवाद
वृक्षारोपण के पश्चात, “प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पर हितधारकों के साथ संवाद” विषयक एक संगोष्ठी पर्यावरण विज्ञान विभाग के संगोष्ठी कक्ष में आयोजित की गई। इस अवसर पर प्रो. शंभूनाथ सिंह ने प्लास्टिक अपशिष्ट को एक गंभीर पर्यावरणीय संकट बताते हुए इसके लिए प्रभावी रणनीति और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने पर बल दिया।
श्री अंकुर भराली ने अपने वक्तव्य में कहा कि केवल प्लास्टिक के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाना समाधान नहीं है, बल्कि इसके लिए व्यवहारिक विकल्पों की खोज और जागरूकता आवश्यक है। उन्होंने विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन के बीच सहयोग की वकालत करते हुए प्लास्टिक जागरूकता अभियानों को और प्रभावी बनाने का सुझाव दिया।

“Life Without Plastic” पहल की जानकारी
इस अवसर पर प्रो. आर. आर. हक़, डीन, अकादमिक कार्य, ने 1972 की स्टॉकहोम कॉन्फ्रेंस से लेकर अब तक की वैश्विक पर्यावरण चेतना की यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि प्लास्टिक के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना आज भी एक बड़ी चुनौती है।
पर्यावरण विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. के. मरिमुथु ने विभाग द्वारा शुरू की गई “Life Without Plastic” पहल के बारे में जानकारी दी, जिसके तहत प्लास्टिक प्रदूषण को लेकर जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
कार्यक्रम का संचालन विभाग के फैकल्टी सदस्य डॉ. एस. एस. भट्टाचार्य द्वारा किया गया।

हितधारकों की सक्रिय भागीदारी
संवाद सत्र में कई संस्थाओं और संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें काली नर्सरी, स्वच्छ भारत मिशन (तेजपुर), रेसोलिन टेक्नोलॉजीज, तेजपुर नगर परिषद, और बालिपारा फाउंडेशन शामिल थे। सभी हितधारकों ने प्लास्टिक अपशिष्ट के समाधान हेतु सामूहिक दृष्टिकोण और नवाचारों की आवश्यकता पर अपने विचार साझा किए।
तेजपुर विश्वविद्यालय का यह आयोजन न केवल पर्यावरणीय चिंताओं पर विचार-विमर्श का मंच बना, बल्कि यह दिखाता है कि शिक्षण संस्थान कैसे स्थायी विकास लक्ष्यों की दिशा में नेतृत्व कर सकते हैं।