भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान द्वारा “अनुसूचित जाति कल्याण योजना” के तहत दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

इज्जतनगर : भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), के पशुजन स्वास्थ्य विभाग (वीपीएच) द्वारा “अनुसूचित जाति कल्याण योजना” के तहत दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया । प्रत्येक दिन 25 लाभार्थियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। ये कार्यक्रम अनुसूचित जाति (एससी) के स्वच्छता कर्मचारियों के लिए आयोजित किए गए थे, जो आईसीएआर-आईवीआरआई में कार्यरत हैं। इनका उद्देश्य स्वच्छता संवर्धन, जूनोटिक रोगों की रोकथाम और सार्वजनिक स्वास्थ्य में स्वच्छता कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना था।इ

स्वच्छता कर्मचारी अपने कार्यक्षेत्र में संपर्क के कारण जूनोटिक रोगों के उच्च जोखिम में रहते हैं। इस पहल में आईवीआरआई के निदेशक, डॉ त्रिवेणी दत्त, प्रसार शिक्षा की संयुक्त निदेशक, डॉ रुपसी तिवारी, पशुजन स्वास्थ्य विभाग के विभागाध्यक्ष, डॉ किरण भिलेगांवकर और पशुजन स्वास्थ्य विभाग विभाग की वैज्ञानिक, डॉ हिमानी धांजे का योगदान रहा। प्रशिक्षण का उद्देश्य स्वच्छता कर्मचारियों को व्यक्तिगत और कार्यस्थल की स्वच्छता और रोगों की रोकथाम के संबंध में जागरूकता और उनके कार्यों में सुधार करना था।

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कार्यक्रम के दौरान एक पीयर-रिव्यूड प्रश्नावली का उपयोग करके ज्ञान, दृष्टिकोण और प्रथाओं (केएपी) का अध्ययन किया गया, जिससे स्वच्छता और जूनोटिक रोगों के प्रति उनकी जागरूकता का आकलन किया गया। इसके पश्चात, डॉ हिमानी धांजे ने प्रशिक्षण सत्र संचालित किया, जिसमें जूनोटिक रोगों, एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस और खाद्य जनित रोगाणुओं पर जानकारी दी गई और रोकथाम के उपायों पर बल दिया गया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत सभी 50 प्रतिभागियों को स्वच्छता किट वितरित की गई, जिसमें डंगरी, गमबूट, प्राथमिक चिकित्सा किट, हार्पिक, लाइजोल , डेटॉल हैंडवॉश, लाइफबॉय साबुन, तौलिया, टॉयलेट ब्रश, लेटेक्स ग्लव्स, फेस मास्क, कैप और नेल कटर शामिल थे। दिनांक 21 जनवरी को पहले दिन के 25 लाभार्थियों को किट का वितरण डॉ. त्रिवेणी दत्त द्वारा किया गया, जबकि शेष 25 लाभार्थियों को 22 जनवरी को डॉ. रुपसी तिवारी द्वारा किट वितरित की गई।

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम स्वच्छता कर्मचारियों के कार्यस्थल सुरक्षा को संबोधित करने और जूनोटिक रोगों के जोखिमों और उनकी रोकथाम के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए अत्यधिक सराहा गया।

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