हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में वन अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन पर कार्यशाला संपन्न

रायपुर : हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (HNLU), ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS), मुंबई, फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी (FES), और यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) के साथ मिलकर 17 अक्टूबर 2024 को “छत्तीसगढ़ में वन अधिकार अधिनियम (FRA) के क्रियान्वयन के संदर्भ में अनुसंधान और नीति हस्तक्षेप के संभावित क्षेत्रों” पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यशाला HNLU परिसर, अटल नगर, नया रायपुर में आयोजित की गई। इसका उद्देश्य शोधकर्ताओं, अकादमिक जगत, NGOs और वन अधिकारों पर काम करने वाले जमीनी संगठनों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों को मजबूत करना और भविष्य के अनुसंधान के क्षेत्रों की पहचान करना था।

HNLU के कुलपति प्रो डॉ वी सी विवेकानंदन ने उद्घाटन उद्बोधन में विकासशील देशों के लोगों के सामाजिक-आर्थिक अधिकारों के बड़े संदर्भ में संरक्षण के पुनर्विचार की आवश्यकता पर जोर दिया।  

पी सी मिश्रा, IFS (निदेशक, ठाकुर प्यारे लाल राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान, छत्तीसगढ़ सरकार) ने विभिन्न वन अधिकारों के अभिलेखों से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।  

रजत बंसल, IAS (आयुक्त, MGNREGA, छत्तीसगढ़) ने FRA की मान्यता के बाद MGNREGA की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और बताया कि यह ग्रामीण क्षेत्रों, विशेषकर PESA क्षेत्रों में, लोगों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए सार्थक रोजगार कैसे उत्पन्न कर सकता है।  

TISS, मुंबई के प्रोफेसर और डीन, प्रो डॉ गीतांजॉय साहू ने कार्यशाला का प्रारंभ करते हुए पूरे देश में FRA की स्थिति पर प्रकाश डाला, जिसके बाद UNDP के बिभोर देव ने छत्तीसगढ़ में FRA के क्रियान्वयन पर प्रस्तुति दी।  

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कार्यशाला में पांच राउंड टेबल पैनल चर्चाएँ आयोजित की गईं, जिनमें छत्तीसगढ़ में FRA क्रियान्वयन से जुड़े कई महत्वपूर्ण चुनौतियों और मुद्दों पर चर्चा किया गया। इनमें दावों की प्रक्रिया में आने वाली चुनौतियों, छत्तीसगढ़ में FRA के क्रियान्वयन में सहायक आदेशों और प्रक्रियाओं का विश्लेषण, CFR प्रबंधन योजनाओं को सुविधाजनक बनाने में आ रही प्रमुख अड़चनों, वन अधिकार धारकों और मान्यता प्राप्त CFR गाँवों के साथ विभिन्न विभागों की योजनाओं के अभिसरण, FRA के बाद NTFP (गैर-लकड़ी वन उत्पाद) विनियमन की स्थिति, और PVTG (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह) समुदायों के लिए आवास अधिकारों की महत्वपूर्ण भूमिका जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।  

UNDP की राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रबंधक श्रीतमा गुप्ताभाया, खोज के सलाहकार विजयेंद्र अज्नाबी, FES की मंजीत बल, TISS के प्रो गीतांजॉय साहू, और FRA सेल, जनजातीय एवं अनुसूचित जाति विभाग के राजेश कुमार ने सत्रों का संचालन किया और महत्वपूर्ण सवाल उठाए।  

छत्तीसगढ़ की प्रमुख जमीनी संगठनों के सदस्यों, जिनमें बेनीपुरी गोस्वामी (खोज), सविता राठ (भूमि बंधु), राजिम केतवास(मकाम), राजेंद्र सिंह नेताम, सीमा चाल आचार्य, चंद्र प्रताप (नव निर्माण), और हर्षा विशिष्ट (प्रदान) शामिल थे, ने अपने फील्ड अनुभव साझा किए और इस चर्चा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।  

HNLU और TISS ने छत्तीसगढ़ में प्रमुख पर्यावरण और अधिकार-आधारित नीतियों के अध्ययन और दस्तावेजीकरण के लिए एक शोध साझेदारी के विकास हेतु ज्ञान के आदान-प्रदान पर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह MoU HNLU के रजिस्ट्रार (प्रभारी) डॉ विपिन कुमार द्वारा कार्यशाला के उद्घाटन समारोह के दौरान हस्ताक्षरित किया गया।  

HNLU की ओर से प्रो विष्णु कनूरायर और डॉ राणा नवनीत रॉय और TISS की ओर से ऐश्वर्या जाधव और बी मोहिता ने कार्यशाला का समन्वय किया। इस कार्यक्रम में HNLU के विभिन्न फैकल्टी सदस्यों, शोधकर्ताओं और छात्रों ने भी भाग लिया। 

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