काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिन्दी सप्ताह तात्कालिक भाषण प्रतियोगिता में विद्यार्थीयो ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया

मंगल यान की मुख्य कर्ता धर्ता महिलायें: विज्ञान संस्थान तत्कालीक भाषण प्रतियोगिता

प्रतियोगिता के विजेताओं को 14 सितंबर हिन्दी दिवस के कार्यक्रम में सम्मानित किया जाएगा

वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय, अपने स्थापना के समय से राष्ट्रभाषा की प्रगति में लगातार भागीदारी कर रहा है, और यह देखना अत्यंत सुखद है, कि विज्ञान संस्थान के विद्यार्थी भी क्लिष्ट विज्ञान को सरल हिन्दी भाषा में प्रस्तुत कर रहे है। यह बात हिन्दी प्रकाशन समिति द्वारा आयोजित तात्कालिक भाषण प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल के सदस्य जंतु विज्ञान विभाग के डॉ राघव मिश्र नें भौतिकी विभाग के एस एन बोस सभागार में कही। हिन्दी प्रकाशन समिति (भौतिकी प्रकोष्ठ) द्वारा मनाये जा रहे हिन्दी सप्ताह की द्वितीय कड़ी में विज्ञान संस्थान के विद्यार्थीयो ने तात्कालिक भाषण प्रतियोगिता में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता में प्रतिभागियों को विज्ञान से संबंधित विषय पर तत्काल बोलने के लिये दिया गया, जिसमे विद्यार्थीयो ने अपने विचार रखे।

हम गंगा को अपनी माता मानते है, लेकिन क्या ये हमारा धर्म या संस्कार है की हम अपनी माँ के आँचल को ही गंदा करे? यह ज्वलंत प्रश्न बीएसी गणित ऑनर्स की छात्रा आकृति तिवारी ने उठाया। 

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मनुष्य अपने फ़ायदे के लिए वन्य जीवन का जो नुक़सान कर रहा है, उसी का परिणाम प्रदूषण है जिसके फलस्वरूप आज की और आगे की पीढ़ियों के लिए एक बड़ा ख़तरा उत्पन्न हो गया है। यह बात नवनीत कुमार ने वन्य जीवन संरक्षण पर बोली।

जंतु विज्ञान ऑनर्स के क्षात्र देवांश पांडेय ने मंगल यान विषय पर बताया कि कैसे भारत नें विज्ञान कौशल से पश्चिम के देशों से भी लोहा मनवा लिया। जबकि भारत सरकार ने जब मंगल परियोजना को हरी झंडी दी थी तभी कई विकसित देशों ने इसका मजाक उड़ाया था। और सबसे बड़ी बात की इस परियोजना की मुख्य करता धरता महिलायें थी।

इसके अलावा कई विद्यार्थीयो ने प्रकाश प्रदूषण, सौर ऊर्जा, भारत के नोबल विजेता, प्राचीन भारत में शिक्षा, विज्ञान और अंधविश्वास, बैटरी चालित कार इत्यादि विषयों पर अपने ज्वलंत विचार रखे। 

डॉ राघव मिश्र और डॉ समीर गुप्ता ने निर्णायक मंडल की भूमिका का निर्वहन किया। इस प्रतियोगिता के विजेताओं को 14 सितंबर हिन्दी दिवस के कार्यक्रम में सम्मानित किया जाएगा। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ चंद्र शेखर पति त्रिपाठी ने और धन्यवाद ज्ञापन समिति की सदस्या डॉ ऋचा आर्य ने किया।

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