शेखावाटी विश्वविद्यालय में महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर विशेष संवाद कार्यक्रम

डॉ. मनमोहन वैद्य बोले – आध्यात्मिक दृष्टिकोण ही है भारतीयता की आत्मा

सीकर : पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय, सीकर में ‘भारत की भारतीय अवधारणा’ विषय पर एक विशेष संवाद कार्यक्रम का आयोजन महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित वरिष्ठ सामाजिक-सांस्कृतिक विचारक डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि “आत्मबोध के लिए भारत बोध को जानना और समझना अत्यंत आवश्यक है।”

डॉ. वैद्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय समाज को समझने के लिए धर्म, आत्मा और वसुधैव कुटुंबकम की भावना को समझना होगा। उन्होंने बताया कि भले ही पूजा पद्धतियां विविध हों, लेकिन भारत का धर्म एक है – मानवता आधारित सेवा और कर्तव्यभाव। कोविड काल के उदाहरण से उन्होंने बताया कि कैसे भारतीयों ने मृत्यु भय के बावजूद सेवा को धर्म माना।

महाराणा प्रताप से प्रेरणा लें युवा – कुलगुरु डॉ. अनिल राय

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. (डॉ.) अनिल कुमार राय ने महाराणा प्रताप के स्वाभिमान, त्याग और राष्ट्रभक्ति को आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बताया। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे भारतीय अवधारणाओं पर चिंतन करें और सांस्कृतिक आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाएं।

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संवेदनशील व प्रभावशाली आयोजन

कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और महाराणा प्रताप के चित्रों के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुई।
मुख्य वक्ता डॉ. वैद्य का शॉल व स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया गया।
सरस्वती वंदना डॉ. विद्याधर शर्मा ने प्रस्तुत की।
ध्येय श्लोक का वाचन विस्तारक शिवम सिंह और ध्येय वाक्य का वाचन डॉ. आर.एस. चुंडावत ने किया।
आभार प्रदर्शन डॉ. गजेंद्र पाल सिंह ने किया जबकि संचालन डॉ. चेतना जोशी और डॉ. प्रियंका ने संभाला।

विशिष्ट उपस्थिति में कार्यक्रम सम्पन्न

इस अवसर पर कुलसचिव श्रीमती श्वेता यादव, नेस्ट भारत की डॉ. विनीता राजपुरोहित, डॉ. मुकेश शर्मा, सीए नीरज गुप्ता, डॉ. नीलम पुनार, प्रो. योगेश झारवाल, डॉ. राजेंद्र सिंह, डॉ. रविंद्र कुमार कटेवा, डॉ. संजीव कुमार, पंकज मील, डॉ. महेश गुप्ता, डॉ. बी.एस. राठौड़ सहित विश्वविद्यालय के अनेक अधिकारी, शिक्षक, विद्यार्थी और शोधार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।


शोधार्थियों के लिए कार्यशाला : ‘प्रकाशन की नैतिकता और शोध दर्शन’

कार्यक्रम के उपरांत विश्वविद्यालय के शोधार्थियों के लिए विशेष शोध कार्यशाला आयोजित की गई।
इसमें राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के प्रो. अनंतवीर सिंह मदनावत और प्रो. अरविन्द विक्रम सिंह ने प्रकाशन की नैतिकता, शोध की मूल अवधारणाएं, व वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर विस्तार से प्रकाश डाला।
शोधार्थियों ने प्रश्नोत्तर सत्र में उत्साहपूर्वक भाग लिया और विशेषज्ञों से संवाद किया।

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