हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में भारतीय ज्ञान परम्परा पर केंद्रित संगोष्ठी का हुआ आयोजन
उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो दिनेश चंद्र शास्त्री ने किया संबोधित
महेंद्रगढ़ : हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि) के योग विभाग द्वारा मंगलवार को भारतीय ज्ञान परम्परा विषय पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो दिनेश चंद्र शास्त्री उपस्थित रहे। कार्यक्रम में हकेवि की समकुलपति प्रो सुषमा यादव व प्रथम महिला प्रो सुनीता श्रीवास्तव की गरिमामयी उपस्थिति रही। विश्वविद्यालय में आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता प्रो दिनेश चंद्र शास्त्री ने भारतीय ज्ञान परम्परा के विभिन्न पक्षों से प्रतिभागियों को अवगत कराया।
उन्होंने बताया कि किस तरह से पुरातन काल में भारत अपने ज्ञाान के परिणाम स्वरूप एक मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित था। उन्होंने अपने संबोधन में ज्ञान, विज्ञान, योग व भारतीय प्राचीन ग्रंथों के माध्यम से प्रतिभागियों को बताया कि भारत उस दौर में भी विश्व के समक्ष एक प्रमुख ज्ञान के केंद्र के रूप में स्थापित था और किस तरह से ब्रिटिश शासन ने भारत की पुरातन ज्ञान परम्परा को हानि पहुँचाई।
इससे पूर्व में विश्वविद्यालय की समकुलपति प्रो सुषमा यादव ने अपने संबोधन में इस आयोजन में उपस्थित अतिथि प्रो दिनेश चंद्र शास्त्री व उनकी पत्नी डॉ मृदुला सिंघल का स्वागत करते हुए कहा कि यह आयोजन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो टंकेश्वर कुमार के निर्देशन व मार्गदर्शन में आयोजित हो रहा है। उन्होंने भारतीय ज्ञान परम्परा और उसके महत्त्व की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि हम हमेशा से ही ज्ञान के मोर्चे पर विश्व के अन्य देशों से आगे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत विकसित अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित था और यही कारण था कि पहले विद्यार्थी, फिर सैलानी और उसके बाद आक्रमणकारी भारत आए।
प्रो सुषमा यादव ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि एक बार फिर से भारत इस नीति के माध्यम से अपना पुराना वैभव प्राप्त करने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि विज्ञान और संस्कृत का ज्ञान एक साथ मिलने से ही हम अपनी ज्ञान परम्परा का विकास कर सकते हैं और इस दिशा में योग भी एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है। इसी क्रम में विश्वविद्यालय की प्रथम महिला प्रो सुनीता श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा की जड़ें गहरी हैं। इसे जितना जानेंगे उतना ही ज्ञान प्राप्त होगा। जहाँ तक बात योग की है तो यह मन-मस्तिष्क व तन को स्वस्थ रखने का एक उपयोगी माध्यम है और योग भी भारत की पुरातन ज्ञान परम्परा की ही देन है।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलन के साथ हुई। कार्यक्रम में स्वागत भाषण योग विभाग की विभागाध्यक्ष व शोध अधिष्ठाता प्रो नीलम सांगवान ने प्रस्तुत किया जबकि विषय परिचय योग विभाग के प्रभारी डॉ अजय पाल ने प्रतिभागियों के समक्ष रखा। इस कार्यक्रम के आयोजन में प्रो सुनीता तंवर, डॉ खेराज, डॉ सी एम मीणा, डॉ किरण रानी, डॉ सुमन रानी, डॉ देवेंद्र सिंह राजपूत, डॉ नीलम व डॉ नवीन ने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। मंच का संचालन डॉ किरण रानी ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो आनंद शर्मा ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रो पवन कुमार मौर्य, प्रो दिनेश चहल, डॉ रेनु यादव, डॉ कामराज सिंधु सहित भारी संख्या में शिक्षक, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे।