एचएनएलयू में भारत की मध्यस्थता प्रणाली पर वैश्विक मानकों संग मंथन
रायपुर : हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एचएनएलयू), रायपुर के Centre for Commercial Arbitration (CCA) द्वारा “इंडियाज़ आर्बिट्रेशन लैंडस्केप: ब्रिजिंग ग्लोबल नॉर्म्स एंड डोमेस्टिक रिएलिटीज़” विषय पर एक महत्वपूर्ण वर्चुअल पैनल चर्चा का आयोजन किया गया। यह संवाद भारत के मध्यस्थता क्षेत्र में नीतिगत, संस्थागत और सांस्कृतिक सुधारों की दिशा में एक गंभीर पहल के रूप में सामने आया।
कार्यक्रम में देश की प्रतिष्ठित मध्यस्थता विशेषज्ञों — सुश्री इराम माजिद (निदेशक, APCAM) और सुश्री श्रुति वी. खनिजो (पार्टनर, शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी) ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अमितेश देशमुख, प्रमुख, CCA ने किया, जबकि एंकरिंग सुश्री अस्तुति द्विवेदी, एचएनएलयू की छात्रा द्वारा की गई। समापन टिप्पणी श्री मयंक श्रीवास्तव, एचएनएलयू के फैकल्टी सदस्य ने दी।
उद्घाटन सत्र में एचएनएलयू के कुलपति प्रो. (डॉ.) वी.सी. विवेकानंदन ने भारत में मध्यस्थता की भूमिका को विधिक और आर्थिक परिप्रेक्ष्य में रेखांकित करते हुए कहा कि डिजिटलीकरण और वैश्वीकरण के युग में भारत को एक सशक्त, संस्थागत मध्यस्थता ढांचे की आवश्यकता है। उन्होंने लंदन व सिंगापुर जैसे वैश्विक उदाहरणों से सीख लेने की बात कही, लेकिन भारत के लिए एक स्वदेशी समाधान मॉडल विकसित करने पर बल दिया।

सुश्री इराम माजिद ने कहा कि भारत में मुख्य समस्या विधेयकों के निर्माण में नहीं, बल्कि उनके प्रभावी क्रियान्वयन में है। उन्होंने “एड-हॉक” से हटकर संस्थागत मध्यस्थता को अपनाने और सभी हितधारकों—न्यायपालिका, संस्थानों, अधिवक्ताओं और उपयोगकर्ताओं—के बीच सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया।
वहीं सुश्री श्रुति वी. खनिजो ने घरेलू बनाम अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता की आवश्यकताओं के अंतर को स्पष्ट करते हुए “आर्बिट्रेशन कल्चर” विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया—जो केवल विधिक समुदाय तक सीमित न होकर व्यावसायिक, सार्वजनिक और आम उपयोगकर्ताओं तक पहुँचे।
इस परिचर्चा ने अकादमिक अंतर्दृष्टि, नीति विश्लेषण और व्यावहारिक अनुभवों का समन्वय प्रस्तुत किया। CCA के माध्यम से एचएनएलयू मध्यस्थता क्षेत्र में राष्ट्रीय और वैश्विक संवाद का एक सशक्त मंच बनता जा रहा है।