जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में ‘मानसिक स्वास्थ्य’ सम्बंधी पांच दिवसीय कार्यशाला

चेतनापूर्ण जीवन शैली ही मानसिक स्वास्थ्य की कुंजी- डॉ. भोजक

राजस्थान / लाडनू : जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में चल रही ‘मानसिक स्वास्थ्य’ सम्बंधी पांच दिवसीय कार्यशाला के द्वितीय दिवस डा. गिरीराज भोजक ने ‘सचेतनता एवं विज्ञंति तकनीकें’ विषय पर अपने व्याख्यान में शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य से जुडी विभिन्न समस्याओं एवं उनके समाधानों से सम्बंधित तकनीकों पर प्रकाश डाला। सचेतनता से सम्बंधित दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक आयामों के बारे में बताते हुए उन्होंने गीता जैसे महान ग्रन्थ को दैनिक जीवन से सम्बंधित समस्याओं के समाधान की प्रमुख कुंजी बताया। उन्होंने बताया कि सचेतना को बौद्ध दर्शन में सम्पजन्ना अर्थात् अपने मन एवं आन्तरिक परिवेश के प्रति स्पष्ट कहा गया है, जिसे शापिरो ने तीन चरणबद्ध आयामों से स्पष्ट किया है। शापिरो ने बताया कि ह्रदय चक्र को अपनी गहन आशाओं एवं मूल्यों के अनुरूप निर्देशित करते हुए हमें अपने वर्तमान पर अवधान केन्द्रण का प्रशिक्षण देना चाहिए, जिसके माध्यम से हमारा दृष्टिकोण करुणा, शांति एवं जिज्ञासा से ओत प्रोत हो सके। डॉ. भोजक ने विद्यार्थियों की न्यून ध्यान केन्द्रण, अल्प स्मृति, दुश्चिंता, तनाव एवं अवसाद जैसी समस्याओं के समाधान हेतु निरंतर सचेतनता एवं विश्रांति तकनीकों के अभ्यास पर बल देते हुए विभिन्न तकनीकों के बारे में विचार रखे, जिनमें श्वास प्रेक्षा, ध्यान, कायोत्सर्ग तथा निर्देशित मानसिक दर्शन आदि प्रमुख थे। डॉ. भोजक ने प्रतिदिन आत्मदर्शन हेतु समय निर्धारित करने और अपने प्रत्येक कार्य से पूर्व आत्मचिंतन का अभ्यास करते हुए सदैव निरपेक्ष चिंतन करने हेतु विद्यार्थियों को प्रेरित किया।

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जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में  'मानसिक स्वास्थ्य' सम्बंधी पांच दिवसीय कार्यशाला
Five-day workshop on 'Mental Health' in the Department of Education of Jain Vishwabharati University


विकास की धारा में पड़े जीवन पर नकारात्मक प्रभाव


कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाघ्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि वर्तमान युग तकनीकी विकास एवं डिजिटल क्रांति का युग है, जिसने मानव जीवन को सर्वाधिक प्रभावित किया है। विकास की धारा में हमारी जीवन शैली पर अनेक नकारात्मक प्रभाव भी हुए है। विद्यार्थी अनेक शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से प्रभावित हो रहे हैं, जिनमे तनाव, दुश्चिंता, विभ्रम, न्यून अवधान, असंतुलित संवेग आदि प्रमुख हैं। इस पांच दिवसीय कार्यक्रम में दैनिक योगाभ्यास, ध्यान के सत्र के साथ प्रतिदिन मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े एक विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम में छात्राध्यापिकाओं के साथ डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. अमिता जैन, डॉ. आभा सिंह डॉ. गिरधारी लाल शर्मा, डॉ. ममता पारीक, स्नेहा शर्मा आदि संकाय सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में कार्यशाला संयोजक डॉ. गिरिराज भोजक ने आभार ज्ञापित किया।

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