हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में लोकगीतों के महत्त्व पर चर्चा का हुआ आयोजन
आईसीएसएसआर द्वारा वित्त पोषित परियोजना के अंतर्गत शिक्षक शिक्षा विभाग ने किया आयोजन
महेंद्रगढ़ : हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि) में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद् (आईसीएसएसआर) द्वारा वित्त पोषित प्रमुख शोध परियोजना के अंतर्गत शिक्षक शिक्षा विभाग द्वारा ‘शैक्षणिक व्यवस्था में लोकगीतों का महत्व‘ विषय पर ऑनलाइन पैनल चर्चा का आयोजन किया। पैनल चर्चा में विश्वविद्यालय कुलपति प्रो टंकेश्वर कुमार व समकुलपति प्रो सुषमा यादव की गरिमामयी उपस्थित रही। वहीं पैनलिस्ट विशेषज्ञ के रूप में हरविंदर मलिक पैनल चर्चा में शामिल हुए।
विश्वविद्यालय की समकुलपति प्रो सुषमा यादव ने इस आयोजन में सम्मिलित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए भारतीय लोकगीतों के सांस्कृतिक महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय लोकगीतों को क्षेत्र रचनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला के रूप में प्रस्तुत किया, जिनमें से प्रत्येक को प्रत्येक माह की लय, प्रत्येक ऋतु के रंग और विविध अवसरों के उल्लास को प्रतिबिंबित करने के लिए सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है।
पैनल चर्चा की शुरुआत प्रो नंद किशोर के परिचयात्मक भाषण के साथ हुई। उन्होंने आयोजन के विषय, महत्व तथा पैनलिस्टों/विशेषज्ञों से प्रतिभागियों को अवगत कराया। तत्पश्चात शिक्षक शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो प्रमोद कुमार द्वारा स्वागत भाषण दिया। आयोजन में सम्मिलित विशेषज्ञ हरविंदर मलिक ने अपने संबोधन में कहा कि हरियाणवी संस्कृति के प्रचार-प्रसार में संगीत, फिल्म और पेंटिंग्स आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा है।
पैनल चर्चा में प्रमुख रूप से जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में कार्यरत डॉ हनुमान सहाय मीना, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता हरिओम कौशिक, सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य व हकेवि की पूर्व शोधार्थी डॉ कृष्णा कुमारी ने सहभागिता की। पैनल चर्चा में पैनलिस्ट विशेषज्ञों ने लोकगीतों के एकीकरण के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान शैक्षणिक परिदृश्य में लोकगीतों के महत्व पर चर्चा की।