हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक क्लैरिवेट अत्याधिक उद्धृत शोधकर्ता की सूची में शामिल
महेंद्रगढ : हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि) के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ रूपेश देशमुख को लगातार दूसरे वर्ष 2024 की क्लैरिवेट अत्याधिक उद्धृत शोधकर्ता की सूची में शामिल किया गया है। यह प्रतिष्ठित सम्मान कृषि जैव प्रौद्योगिकी, और पौध विज्ञान के क्षेत्र में उनके वैश्विक स्तर पर असाधारण योगदान के लिए प्राप्त हुआ है। इस सूची में उनका लगातार दूसरे वर्ष शामिल होना शोध के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो टंकेश्वर कुमार ने डॉ रूपेश को उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।
विश्वविद्यालय के शोध अधिष्ठाता प्रो पवन कुमार शर्मा ने भी डॉ रूपेश देशमुख को बधाई दी। उन्होंने कहा कि डॉ रूपेश की यह उपलब्धि अन्य संकाय सदस्यों के लिए भी प्रेरणादायी होगी। यहां बता दें कि 2024 की क्लैरिवेट अत्याधिक उद्धृत शोधकर्ता सूची में केवल छह भारतीय वैज्ञानिक शामिल हैं, जिनमें डॉ रूपेश देशमुख भी शामिल हैं। क्लैरिवेट के इंस्टीट्यूट फॉर साइंटिफिक इंफॉर्मेशन (आईएसआई) द्वारा तैयार की गई इस सूची में 59 देशों और क्षेत्रों के 1,200 से अधिक संस्थानों के 6,636 शोधकर्ताओं को शामिल किया गया है। यह चयन वेब ऑफ साइंस कोर कलेक्शन सिटेशन इंडेक्स के डेटा के विश्लेषण और आईएसआई विशेषज्ञों द्वारा गुणात्मक मूल्यांकन के आधार पर किया गया है।
डॉ देशमुख का फसल विज्ञान अनुसंधान में क्रांतिकारी योगदान उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला चुका है। उनके एक दशक लंबे शोध ने एक्वापोरिन परिवहन प्रणाली के माध्यम से विभिन्न प्रजातियों में जल और घुले हुए पदार्थों के परिवहन को समझने में महत्वपूर्ण सुधार किया है। इसके अतिरिक्त, पौधों में सिलिकॉन की भूमिका पर उनके कार्य ने पौधों के स्वास्थ्य और तनाव सहनशीलता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है।
टमाटर, मूंग, चावल और अन्य बागवानी फसलों पर डॉ देशमुख के पैनजीनोम अध्ययन कृषि जैव प्रौद्योगिकी में उल्लेखनीय प्रगति ला रहे हैं। इन फसलों की जीनोमिक संरचना को उजागर करके उनका शोध आधुनिक कृषि के सामने आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने के लिए जलवायु-अनुकूल और सहनशील फसल किस्मों को विकसित करने पर केंद्रित है। इन नवाचारों से अधिक उपज, पर्यावरणीय तनावों के प्रति बेहतर अनुकूलन क्षमता, कृषि कार्बन पदचिह्न में कमी और किसानों के लिए अधिक लाभ सुनिश्चित होगा।
हाल ही में, 2022 में, डॉ देशमुख हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि) से जुड़े, जहां उन्होंने मल्टीप्लेक्स जीनोम संपादन के क्षेत्र में अनुसंधान शुरू किया है। उनके विभाग में टमाटर, चावल और सोयाबीन जैसी फसलों पर जीनोम एडिटिंग अनुसंधान पर व्यापक रूप से कार्य हो रहा है, जिसका उद्देश्य स्थायी कृषि समाधान प्रदान करना है।