राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय का भव्य और दिव्य आठवाँ दीक्षांत समारोह हर्षोल्लास के साथ संपन्न
अजमेर : राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय का भव्य और दिव्य आठवाँ दीक्षांत समारोह शनिवार एक मार्च 2025 को विश्वविद्यालय परिसर के दीक्षांत पंडाल में आयोजित हुआ जिसमें 2022 और 2023 बैचों के विद्यार्थियों को उपाधि तथा पदक प्रदान किये गए ।
इस गरिमामयी अवसर पर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) प्रो टी जी सीताराम मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए और दीक्षांत भाषण दिया। साथ ही, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अहमदाबाद के स्पेस एप्लीकेशन्स सेंटर के निदेशक और प्रख्यात वैज्ञानिक, डॉ निलेश देसाई विशिष्ट अतिथि के रूप में समारोह की शोभा बड़ाई। यह प्रतिष्ठित समारोह राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आनंद भालेराव की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।






दीक्षांत समारोह में कार्यकारी परिषद और अकादमिक परिषद के गणमान्य सदस्य, संकाय सदस्य, उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थी, कर्मचारी, अभिभावक तथा अन्य विशिष्ट अतिथि उपस्थित हुये । दीक्षांत समारोह का शुभारंभ भव्य परेड के साथ हुआ।
इस वर्ष दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के कुल 1,514 विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर तथा पीएच डी की उपाधि प्रदान की गई जिनमें 228 स्नातक (UG) 1,199 (PG) और 87 पी एच डी स्कॉलर्स शामिल है। स्नातक होने वाले विद्यार्थियों में 896 छात्र और 618 छात्राएँ हैं।
शैक्षणिक उत्कृष्टता को सम्मानित करने के लिए, 86 स्वर्ण पदक (विश्वविद्यालय एंडोमेंड पदक) उन मेधावी विद्यार्थियों को प्रदान किए गए, जिन्होंने अपने अपने विषय में उच्चतम सीजीपीए अर्जित कर उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। इनमें 36 स्वर्ण पदक छात्रों को और 50 स्वर्ण पदक छात्राओं को प्रदान किए गए , जो राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के मेधावी विद्यार्थियों की विद्वत्ता को दर्शाते हैं।
दीक्षांत भाषण प्रस्तुत करते हुए मुख्य अतिथि प्रो टी जी सीताराम ने विद्यार्थियों को सफलतापूर्वक शिक्षा सम्पन्न करने हेतु बधाई देते हुए कहा कि राजस्थान में आना हमेशा खुशी की बात होती है- क्योंकि यह एक ऐसी जगह है जो जीवंत संस्कृति, समृद्ध विरासत और बेजोड़ आतिथ्य से भरपूर है। मैं आज यहाँ आकर, आप सभी के साथ इस विशेष अवसर का उत्सव मनाकर सम्मानित महसूस कर रहा हूँ।
प्रौद्योगिकी की शक्ति और इसको अपनाने के महत्व पर बोलते हुए, उन्होंने कहा कि आज के तकनीकी परिवर्तन (Technology Disruption) के युग में केवल डिग्री प्राप्त करना पर्याप्त नहीं है, आपको कुशल (skilled) होना पड़ेगा। यदि आपने स्वयं को अपग्रेड नहीं किया, तो आप पीछे रह जाएंगे और अप्रासंगिक हो जाएंगे। आपको अपने जुनून (passion) की पहचान करनी होगी, क्योंकि आज की दुनिया को ऐसे विचारकों (thinkers) की जरूरत है जो केवल सोचें नहीं, बल्कि उसे क्रियान्वित (action) भी करें।
उन्होंने नई शिक्षा नीति (NEP) को जीवनभर सीखने (lifelong learning) और आत्म-शिक्षा (self-learning) के लिए एक सशक्त मंच बताया। उन्होंने स्टार्टअप (startup) की महत्ता पर जोर देते हुए छात्रों को सलाह दी कि नए उद्यम शुरू करने से न हिचकें। आपको नौकरी खोजने के बजाय नौकरी पैदा करने की दिशा में सोचना चाहिए।
प्रो टी जी सीताराम ने राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये राज्य के अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों में से एक है, जो विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक को अपनाता है और राजस्थान में उच्च शिक्षा के सबसे गतिशील केंद्रों में से एक के रूप में तेज़ी से विकसित हुआ है। इसका हरा-भरा, प्रदूषण-मुक्त परिसर एक ताज़ा और प्रेरक वातावरण प्रदान करता है जो शिक्षा, अनुसंधान और समग्र विकास को बढ़ावा देता है। यहाँ के सभी छात्रों को, आपको इस तरह के सुंदर और आगे की सोच रखने वाले संस्थान का हिस्सा होने पर गर्व और सौभाग्य महसूस करना चाहिए।
उन्होंने विद्यार्थियों को सुझाव देते हुए कहा कि आज वर्षों की कड़ी मेहनत, दृढ़ता और समर्पण का समापन है और आपके जीवन में एक रोमांचक नए अध्याय की शुरुआत है।
प्रो टी जी सीताराम ने आगे कहा कि सेमीकंडक्टर और उन्नत कंप्यूटिंग जैसी अन्य अत्याधुनिक तकनीकों के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दुनिया भर में उद्योगों, अर्थव्यवस्थाओं और समाजों को नया आकार दे रहा है। उन्होंने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि भारत, अपने प्रतिभाशाली युवाओं के विशाल पूल के साथ, इस तकनीकी क्रांति में नेतृत्व करने की अपार क्षमता रखता है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने तक सीमित नहीं, बल्कि युवाओं को नेतृत्व, नवाचार और बदलाव लाने के लिए सशक्त बनाने का माध्यम है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की परिवर्तनकारी शक्ति को ध्यान में रखते हुए, AICTE ने 2025 को ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का वर्ष’ घोषित किया है। इस पहल का उद्देश्य युवाओं को अत्याधुनिक कौशल से सशक्त बनाना, शोध व नवाचार को बढ़ावा देना और ऐसे तंत्र का निर्माण करना है जहाँ विचार प्रभावशाली समाधानों में बदलें। हमारा लक्ष्य है कि भारतीय छात्र न केवल वैश्विक तकनीकी प्रगति में भाग लें, बल्कि उसका नेतृत्व करें।
समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ निलेश देसाई ने गोल्ड मैडल, डिग्री धारकों को शुभकामनाए देते हुए कहा कि राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा निति 2020 पर बहुत अच्छा कार्य किया गया है, जिसे अधिकतर विश्वविद्यालयो ने लागू भी किया है। उन्होंने अल्बर्ट आइंस्टीन के कथन को उद्धृत करते हुए कहा कि “शिक्षा तथ्यों को सीखने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि सोचने की कला का प्रशिक्षण है,” जो अत्यंत महत्वपूर्ण है। शिक्षा एक शक्तिशाली हथियार है, जो बदलाव ला सकती है, और यह आप पर निर्भर करता है कि आप इसका उपयोग कैसे करते हैं।
उन्होंने छात्रों से कहा कि आज उनके लिए एक बुरी खबर और एक अच्छी खबर है – बुरी खबर यह है कि समय तेजी से भाग है, और अच्छी खबर यह है कि आप इसके पायलट हैं और इसे अपनी दिशा में मोड़ सकते हैं।
ISRO का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि हम कभी भी असफलताओं से भयभीत नहीं होते, बल्कि उन्हें “FAIL” यानी “First Attempt In Learning” (सीखने का पहला प्रयास) मानते हैं।
इसके साथ ही, उन्होंने पूर्व छात्रों (Alumni) की भूमिका को रेखांकित किया और महात्मा गांधी के विचारों का हवाला देते हुए कहा कि “भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम वर्तमान में क्या कर रहे हैं।” इसलिए, जो भी करें, पूरी सोच और समर्पण के साथ करें।
राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आनंद भालेराव ने अपने स्वागत भाषण और रिपोर्ट प्रस्तुतिकरण में 2022 में आयोजित दीक्षांत समारोह के बाद विश्वविद्यालय की नई उपलब्धियों की विस्तृत जानकारी प्रदान की ।
अतिथियों का परिचय देते हुए प्रो भालेराव ने कहा कि राजस्थान वीरो की भूमि है, ये उन बाबा रामदेव की धरती है जिन्होंने सामाजिक समरसता का संदेश आज से 600 वर्ष पहले दिया था। आज दीक्षांत समारोह का ये अवसर हम सभी के लिए गौरव का क्षण है, जब आप मां भारती के छात्रों का शिक्षा के माध्यम से विकास की नई अवधारणा लेकर और देश को 2047 तक विकसित भारत बनाने का भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के संकल्प में योगदान दे रहे।
प्रो भालेराव ने कहा कि यह उत्सव, प्रतिबिंब और आकांक्षाओं का दिन है, एक ऐसा दिन जब हम उन छात्रों की कड़ी मेहनत, समर्पण और संरक्षण को पहचानने के लिए एक साथ आते हैं जिन्होंने अपनी शैक्षणिक यात्रा सफलतापूर्वक पूरी कर ली है और अब जीवन में नए रास्ते पर चलने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह केवल डिग्री प्रदान करना नहीं है, यह एक संवेदनशील मार्ग है जो भारत की शैक्षिक विरासत में गहराई से निहित एक परंपरा है।
यह स्पष्ट है कि भारत वह भूमि है जहां वेदों उपनिषदों, महाभारत, रामायण और योग – सूत्रों जैसी महान रचनाएं जन्मी। यहां शिक्षा को केवल सूचना प्राप्ति नहीं बल्कि आत्मा की उन्नति और चरित्र निर्माण का माध्यम माना गया।
अपने भाषण के अंत मे विद्यार्थियों को अपनी ओर से प्रेरित करते हुए प्रो भललेराव ने कहा कि आपको अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग समाज के लिए और देश के विकास में योगदान देने के लिए करना चाहिए। अपने भाषण का अंत उन्होंने अटल बिहारी वजपायी की कविता “हो गए है स्वप्न सब साकार कैसे मान ले हु से किया।
यह दीक्षांत समारोह विशिष्ट अतिथियों, प्रतिष्ठित शिक्षकों, गौरवान्वित अभिभावकों और विद्यार्थियों की उपस्थिति में हुआ।
समारोह की शुरुआत राष्ट्रगान के बाद स्वागत गीत और विश्वविद्यालय गीत से हुई। अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव अमरदीप शर्मा ने दीक्षांत समारोह के समापन की घोषणा की ।