हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में संस्कृत सप्ताहोत्सव की हुई शुरुआत

महेंद्रगढ : हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि) में संस्कृत विभाग द्वारा ‘संस्कृत सप्ताहोत्सव‘ का शुभारम्भ हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो ललित कुमार गौड उपस्थित रहे। कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक कुलपति प्रो टंकेश्वर कुमार एवं संरक्षक सम-कुलपति प्रो सुषमा यादव ने संस्कृत सप्ताह उद्घाटन हेतु अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की।

विश्वविद्यालय की मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान पीठ के अधिष्ठाता प्रो चंचल कुमार शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। दीपप्रज्वलन के साथ विभागीय विद्यार्थियों द्वारा किए गये वैदिक मन्त्रोच्चारण एवं सरस्वती वन्दना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। विभागीय शिक्षकों द्वारा मंचासीन सदस्यों का परिचय किया एवं डॉ मनीष कुमार, डॉ छीतरमल मीना, डॉ नवीन, डॉ मुकेश उपाध्याय द्वारा अंगवस्त्र, नारियल एवं संस्कृत पुस्तक प्रदान कर आतिथ्य सत्कार किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो ललित कुमार गौड ने श्रोताओं को संस्कृत भाषा की मौलिकता एवं वैज्ञानिकता समझाते हुए संस्कृत के विभिन्न आयामों पर चर्चा  की। उन्होंने बताया कि मन्त्रद्रष्टा ऋषियों से प्राप्त वेदों के ज्ञान का प्रभाव आज भी हमारी संस्कृति पर दिखाई देता है। प्रो गौड ने अन्य भाषाओं के विभिन्न उद्धरण देते हुए संस्कृत भाषा के प्रभाव को बताया। विभाग के विद्यार्थियों मुनेश व पायल ने भारतवर्ष पर एक संस्कृत गीत गाया।

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कार्यक्रम का अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए प्रो चंचल कुमार शर्मा ने कहा कि संस्कृत साहित्य की महत्वपूर्ण देन यह है कि यह चेतना के विकास का गूढ़ ज्ञान प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि चेतना का विज्ञान, भारत की दुनिया को एक अनमोल देन है। इस संदर्भ में उन्होंने विशेष रूप से ‘त्रिपुर रहस्य‘ ग्रंथ का उल्लेख किया, जिसे भगवान शिव द्वारा भगवान विष्णु को सिखाया गया था।

कार्यक्रम के अंत में संस्कृत विभाग प्रभारी एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ देवेन्द्र सिंह राजपूत ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया तथा संस्कृत सप्ताह में आयोजित होने वाले भावी कार्यों की योजना बताई। कार्यक्रम में मंच संचालन विभागीय शिक्षक सुमित शर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु विभागीय शिक्षकों डॉ सुमन रानी, डॉ कृष्ण कुमार, डॉ अर्चना कुमारी तथा शोधच्छात्रों सुनीता, बलराम, विजय एवं मनीषा की मुख्य भूमिका रही। कार्यक्रम में प्रो वीरपाल सिंह, प्रो पायल कंवर चन्देल, डॉ कमलेश कुमारी, डॉ राजीव वशिष्ठ, डॉ सिद्धार्थ शंकर, डॉ अरविंद सिंह तेजावत तथा विभिन्न विभागों के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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