हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित
प्राचीन ज्ञान को आधुनिक शैक्षिक प्रणालियों के साथ एकीकृत करना आवश्यक – प्रो सुषमा यादव
महेंद्रगढ़ : हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), के वाणिज्य विभाग द्वारा आयोजित क्षमता निर्माण कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की समकुलपति एवं कार्यक्रम की संरक्षक प्रो सुषमा यादव, विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी प्रो विकास कुमार तथा चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद के प्रो एस के सिन्हा द्वारा व्याख्यान दिए गए। आयोजन में देश के विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के ३० से अधिक संकाय सदस्य एवं शोधार्थी प्रतिभागिता कर रहे हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो टंकेश्वर कुमार ने केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के वाणिज्य विभाग द्वारा आयोजित करने के लिए वाणिज्य विभाग की पहल की सराहना की।
प्रो सुषमा यादव ने भारत की पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों की समृद्ध विरासत और समकालीन शिक्षा में उनकी प्रासंगिकता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने समग्र और समावेशी शिक्षण वातावरण विकसित करने के लिए प्राचीन ज्ञान को आधुनिक शैक्षिक प्रणालियों के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा के दृष्टिकोणों पर भी चर्चा की। इस संदर्भ में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर बोलते हुए प्रो. यादव ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक शिक्षा पद्धतियों के साथ जोड़ने पर जोर दिया गया है। उन्होंने प्रतिभागियों के सवालों का जवाब देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया।
आयोजन में प्रो एस के सिन्हा ने ‘शोध पद्धति‘ पर शैक्षणिक अनुसंधान करने के लिए आवश्यक व्यवस्थित प्रक्रियाओं और तकनीकों पर केंद्रित व्याख्यान प्रस्तुत किया। में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की। उनके व्याख्यान के द्वारा प्रतिभागियों को अपने शोध कौशल को बढ़ाने में मदद मिली। हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी प्रो विकास कुमार ने ‘जर्नल प्रकाशन‘ पर केंद्रित व्याख्यान प्रस्तुत किया। इसमें उन्होंने प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशन के बारे में व्यापक दिशा-निर्देशों से प्रतिभागियों को अवगत कराया। उन्होंने लेखकों के लिए सामान्य निर्देश, सहकर्मी-समीक्षा प्रक्रिया और शोध प्रकाशन में नैतिक विचारों जैसे प्रमुख पहलुओं को संबोधित किया। प्रो कुमार ने प्रतिभागियों के साथ एक इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र में भी भाग लिया, उनके शोध योगदान पर चर्चा की और उनकी प्रकाशन रणनीतियों को बेहतर बनाने के लिए व्यक्तिगत सलाह प्रदान की।
आयोजन में वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद मीना कार्यक्रम के निदेशक तथा डॉ दिव्या ने सह-निदेशक की भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। निभाई। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों की भारतीय ज्ञान प्रणाली की समझ और वर्तमान शैक्षिक व्यवस्था में इसके अनुप्रयोग को बढ़ावा देना था। यह पहल अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने और पारंपरिक और आधुनिक शैक्षिक प्रतिमानों के एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।