हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में विशिष्ट व्याख्यान का हुआ आयोजन

सप्तसिंधु के अध्ययन में हिंदी भाषा का अहम योगदान – प्रो कुलदीप अग्निहोत्री

महेंद्रगढ़ : हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि) के हिंदी विभाग द्वारा व्याख्यानमाला की शृंखला में ’सप्तसिंधु क्षेत्र में हिंदी भाषा का महत्व’ विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रो कुलदीप चंद अग्निहोत्री, पूर्व कुलपति, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला एवं उपाध्यक्ष हरियाणा साहित्य और संस्कृति अकादमी, पंचकुला मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक प्रो टंकेश्वर कुमार, कुलपति, हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय एवं संरक्षक प्रो सुषमा यादव, समकुलपति, हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो बीर पाल सिंह यादव ने मुख्य वक्ता के स्वागत भाषण से किया। विभाग के सह आचार्य डॉ सिद्धार्थ शंकर राय ने मुख्य वक्ता का परिचय श्रोताओं से सांझा किया। मुख्य वक्ता प्रो कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने ‘सप्तसिंधु’ शब्द के महत्व को व्याख्यायित करते हुए भारतीय परंपरा एवं संस्कृति पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ऋग्वेद में प्रथमतः ‘सप्तसिंधु’ शब्द का प्रयोग हमें देखने को मिलता है, जिसका सबंध सात नदियों के योग से है जो सिंधु क्षेत्र में जाकर मिलती हैं। ‘सप्त सिंधु’ क्षेत्र भारत की आत्मा है। यह एक प्राचीन एवं महत्त्वपूर्ण क्षेत्र रहा है, जो संस्कृति, सभ्यता और भाषा के विकास का मुख्य केंद्र है। हिंदी के प्रचार और प्रसार में आम जन के साथ-साथ यहाँ के विभिन्न सम्राटों, शासकों एवं संस्थाओं का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। मुख्य वक्ता ने हिंदी के साथ-साथ भूगोल, इतिहास एवं लिपि आदि विषयों पर भी विस्तृत चर्चा की।  

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विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो टंकेश्वर कुमार ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो अग्निहोत्री के व्याख्यान की प्रासंगिकता पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सप्तसिंधु क्षेत्र में हिंदी भाषा के उद्गम और विस्तार पर आज का व्याख्यान विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए अत्यंत ज्ञानप्रद है। उन्होंने विशेषज्ञ व्याख्यान आयोजित करने के लिए विभाग को बधाई दी एवं मुख्य वक्ता को अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में समकुलपति प्रो सुषमा यादव ने भी आज के वक्तव्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की। प्रो बीर पाल सिंह यादव ने कार्यक्रम के संयोजक के दायित्व का निर्वहन करते हुए मुख्य अतिथि का आभार व्यक्त किया। 

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रो पवन शर्मा, कुलानुशासक प्रो नंद किशोर, प्रो नीलम सांगवान, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो आनंद शर्मा, डॉ दिनेश, डॉ नरेंद्र परमार, डॉ अंकुश विज, डॉ कमलेश कुमारी, डॉ कामराज सिंधु, डॉ अरविंद सिंह तेजावत, जनसम्पर्क अधिकारी शैलेंद्र सिंह, डॉ अमित कुमार, डॉ रीना स्वामी एवं अनेक विभागों के विद्यार्थी, शोधार्थी व शिक्षक उपस्थित रहे।

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