जैन विश्वभारती संस्थान में सात दिवसीय पर्युषण पर्व में ‘सामायिक दिवस’ मनाया

उपासना पद्धति आत्मा से सब्ंधित होती है, धर्म से नहीं – मुनिश्री जयकुमार

लाडनूं : जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग में मनाए जा रहे सात दिवसीय पर्युषण पर्व के तृतीय दिवस ‘सामायिक दिवस’ मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मुनिश्री जयकुमार ने कहा कि स्वयं की आत्मा का अध्ययन करना ही सामायिक है। सामायिक का अर्थ है सम की रक्षा। हर धर्म की अपनी-अपनी उपासना पद्धति होती है, उपासना पद्धति को हमें आत्मा से जोड़ना चाहिए, ना कि धर्म से।

हमें दुःख निवारण के लिए दःुख का कारण खोजना होगा और दःुख का कारण खोजने के लिए सामायिक जरूरी है। जीवन में दुःख-सुख, लाभ-हानि, मान-अपमान आदि आते रहते हैं, लेकिन व्यक्ति को हर परिस्थिति में समान भाव से रहना चाहिए। सामायिक करने से हमारे कई वर्षों के पाप भी साफ हो सकते हैं।

Advertisement

जीविका से जरूरी है जीवन दर्शन

उन्होंने जीविका से ज्यादा जरूरी जीवन दर्शन बताते हुए विद्यार्थियों को जीविका के साथ जीवन दर्शन करने की भी राह दिखाई। मुनिश्री जयकुमार ने कहा कि संसाधनों से हमें सुविधा जरूर मिल सकती है, किंतु सुख नहीं मिल सकता। सुख की प्राप्ति के लिए हमें हमारी इंद्रियों को काबू में करना होगा। विद्यार्थियों को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सामायिक का अनुसरण करना चाहिए। जब मस्तिष्क शांत व तनाव मुक्त होगा, तभी समता का भाव आ सकेगा।

मुनिश्री ने विद्यार्थियों को पुण्य श्रावक की कथा सुनाते हुए कर्म निर्जरा से अवगत कराया। उन्होंने कर्मों में गति को आवश्यक बताया और व्यक्ति को अच्छी चीज ग्रहण करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने मुनिश्री जयकुमार का स्वागत किया व विषय प्रवर्तन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो बनवारी लाल जैन ने किया। अंत में डॉ अमिता जैन ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में समस्त संकाय सदस्य व विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page