हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

जीवन जीने की राह दिखाने वाला ग्रंथ है गीता – प्रो मार्कंडेय आहूजा

महेंद्रगढ़ : हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि) में गुरुवार को भारतीय ज्ञान परंपरा में श्री मद्भागवत गीता विषय पर केंद्रित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय, रोहतक व गुरुग्राम विश्वविद्यालय, गुरुग्राम के पूर्व कुलपति प्रो मार्कंडेय आहूजा मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो टंकेश्वर कुमार ने की।

आयोजन के मुख्य वक्ता डॉक्टर मारकंडेय आहूजा ने अपने वक्तव्य में कहा कि गीता के 18 अध्याय और 700 श्लोक हमारे जीवन के आधार स्तंभ है। बाल गंगाधर तिलक, भगत सिंह, बंकिम चंद्र चटर्जी ने भागवत गीता का पाठ किया तथा उन्होंने गीता के द्वारा राष्ट्रीय क्रांति में अपना योगदान दिया। वक्ता ने अपने संबोधन में मनोवृत्ति, साहस, संप्रेषण, बदलाव, दृढ़ता, समानता, लक्ष्य केंद्रित रहने की सीख प्रतिभागियों को दी। मुख्य वक्ता ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए गीता के गूढ़ ज्ञान से अवगत कराया। मार्कंडेय आहुजा ने यहां तक कहा कि भारतीय स्वाधीनता संग्राम से यदि गीता को हटा दिया जाए तो यह फीका हो जाता है।

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विद्यार्थियों के लिए उन्होंने गीता को आत्मक्रांति का माध्यम बताया जिसके जरिए वे समाज, देश व दुनिया की बेहतरी का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। गुरु की महिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि गीता हमें उत्तम गुरु के चयन का भी मार्ग दिखाती है। यदि हमें जीवन में योग्य गुरु प्राप्त होता है तो सफलता मुश्किल नहीं है। गीता के कारण ही महाभारत का युद्ध अन्य सभी युद्धों से अलग है। वक्ता ने बताया कि गीता का सर्वप्रथम अंग्रेजी अनुवाद वारेन हेसिं्टग्स ने किया जिसके कारण गीता विदेश की धरती पर पहुंची और जन-जन के लिए कल्याणकारी बनी। गीता हमें अपनी शक्ति से परिचय कराती है। गीता से ही हमारे अंदर साहस संप्रेषण की कला बदलाव गुरु के प्रति कृतज्ञता आदि का भाव उत्पन्न करती है।

कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो टंकेश्वर कुमार ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए सर्वप्रथम मुख्य वक्ता प्रो मार्कंडेय आहूजा के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि उनके द्वारा प्रस्तुत ज्ञान से अवश्य ही विद्यार्थी लाभांवित होंगे। कुलपति ने अपने संबोधन में गुरु की महिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि गीता हमें उत्तम गुरु के चयन का भी मार्ग दिखाती है। यदि हमें जीवन में योग्य गुरु प्राप्त होता है तो सफलता मुश्किल नहीं है। कुलपति ने इस मौके पर मनोवृत्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रतिभा की कमी नहीं है, बशर्तें उसका सर्वोत्तम उपयोग करने का हुनर हो। अपने संबोधन के अंत में प्रो टंकेश्वर कुमार ने सभी प्रतिभागियों को अपने इतिहास पर गर्व कर आगे बढ़ने और भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रेरित किया।

स्वागत भाषण में हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ बीरपाल सिंह यादव ने कहा कि गीता हमारे पाठ्यचर्या गतिविधियों से विषयांतर नहीं है बल्कि गीता हमारे पाठ्यक्रम में ही सम्मिलित है। गीता के माध्यम से ही हम स्वयं को पहचान सकते हैं। गीता केवल भारत ही नहीं बल्कि समूचे विश्व को जीवन जीने की राह दिखाने वाला ग्रंथ है। कार्यक्रम संयोजक डॉ कामराज सिंधु ने मुख्य अतिथि का परिचय देते हुए उनके द्वारा दिए गए योगदान को बताया। गीता के द्वारा ही मनुष्य कर्तव्य निष्ठ होकर अपने मार्ग पर चल सकता है। स्वतंत्रता संग्राम में जान की बाजी लगाने वाले सेनानियों ने गीता का अनुसरण किया। कार्यक्रम के अंत में हिंदी विभाग की सहआचार्य डॉ कमलेश कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रो नंद किशोर, प्रो अंतरेश कुमार, डॉ दिनेश कुमार, प्रो दिनेश चहल, डॉ अशोक कुमार व डॉ सिद्धार्थ शंकर राय सहित विद्यार्थी, शोधार्थी उपस्थित रहे।

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