डॉ भीमराव अम्बेडकर कॉलेज मे भारतीय ज्ञान- परम्परा पर संगोष्ठी का आयोजन

दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ भीमराव अम्बेडकर कॉलेज में संस्कृत विभाग के द्वारा “भारतीय ज्ञान – परम्परा और संस्कृत” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में आमंत्रित वक्ताओं ने भारतीय ज्ञान – परम्परा के विकास में संस्कृत भाषा के योगदान को विस्तार से रेखांकित किया और वर्तमान समय में भारतीय शिक्षा व्यवस्था में संस्कृत भाषा के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

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संगोष्ठी के मुख्य अतिथि श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मुरली मनोहर पाठक रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में हिंदू अध्ययन केंद्र दिल्ली विश्वविद्यालय की सह – निदेशक डॉ प्रेरणा मल्होत्रा भी कार्यक्रम में उपस्थित रहीं।

प्राचार्य प्रो आर एन दूबे ने स्वागत संबोधन देते हुए अपने वक्तव्य में कहा भारतीय ज्ञान परंपरा मूल रूप से संस्कृत भाषा में समाहित है। ज्ञान का मूल स्रोत संस्कृत भाषा है जो हमारे गौरवशाली संस्कृति में दृष्टिगोचित होती है। भारत देश विविधताओं का देश है जहां कई प्रकार की भाषाएं बोली जाती है, किंतु इन सभी भाषाओं की केंद्र है संस्कृत जो समूचे राष्ट्र को एक सूत्र में बांध कर रखती है।

मुख्य अतिथि प्रो मुरली मनोहर पाठक ने नई शिक्षा नीति का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए नई शिक्षा नीति 2020 मील का पत्थर साबित हुई है। भारतीय पुरातन ग्रंथ और लोक व्यवहार की कला ने समूचे विश्व का पथ प्रदर्शित किया है। विश्व को ज्ञान की प्रथम किरण भारत से मिली है, इसी कारण भारत विश्व गुरु माना जाता है। भारतीय ज्ञान परंपरा हमें अपने राष्ट्र, संस्कृति, आचरण, संस्कार, साहित्य, सभ्यता, दर्शन और चिंतन पर गर्व करना सिखाती है।

डॉ प्रेरणा मल्होत्रा ने ‘द लास्ट लेसन’ का जिक्र करते हुए कहा कि भाषा सिर्फ हमारे आचरण और व्यवहार का माध्यम नहीं है अपितु यह हमारी परम्परा और संस्कृति में भी परिलक्षित होती है। इन्होंने कहा देव भाषा संस्कृत सार्वभौमिक है, अनादिकाल से हमें लाभान्वित और मार्गदर्शित करती आई है। भारतीय ज्ञान परंपरा हमें वैज्ञानिक और तार्किक सोच प्रदान करती है।

संगोष्ठी की संयोजिका प्रो शशि रानी ने आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। संगोष्ठी में डॉ सुनीता शर्मा, प्रो ममता, प्रो बिजेंदर कुमार, प्रो संगीता शर्मा, प्रो चित्रा त्रिपाठी और प्रो जया वर्मा भी उपस्थित रहे।

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