हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में डॉ बी आर अम्बेडकर की जयंती पर विशेष व्याख्यान का हुआ आयोजन

महिला सशक्तिकरण के लिए डॉ अम्बेडकर का योगदान अहम – प्रो टंकेश्वर कुमार

महेंद्रगढ़ : हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में भारतरत्न डॉ बी आर अम्बेडकर की जयंती के उपलक्ष्य में विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय की अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ व डॉ अम्बेडकर उत्कृष्टता केंद्र (डीएसीई) के प्रयासों से आयोजित इस विशेषज्ञ व्याख्यान को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो टंकेश्वर कुमार ने कहा कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा व अध्ययन का केंद्र है। उन्होंने देश को बहुत कुछ दिया है और जहाँ तक बात महिला सशक्तिकरण की है तो उन्होंने ही समानता का अधिकार संविधान में उपलब्ध करा सभी के लिए समान अवसर उपलब्ध कराए जाने का मार्ग प्रशस्त किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की समकुलपति प्रो सुषमा यादव, विश्वविद्यालय की प्रथम महिला प्रो सुनीता श्रीवास्तव सहित विशेषज्ञ वक्ता  इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के उपनिदेशक डॉ रमेश सिरोही व मिरांडा हाऊस, दिल्ली विश्वविद्यालय डॉ जैनी रोवेना पी उपस्थित रहे।

विश्वविद्यालय में अंबेडकर जयंती के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत रविवार को विश्वविद्यालय स्थित बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के साथ हुई। इसी क्रम में सोमवार को आयोजित विशेषज्ञ व्याख्यान में कुलपति ने अपने संबोधन में आयोजकों व विशेषज्ञों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि देश को एकजुट करने में डॉ अम्बेडकर ने एक सूत्रधार की भूमिका निभाई। उनका जीवन सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। महिला सशक्तिकरण के मार्ग में डॉ भीमराव अंबेडकर व संविधान की भूमिका विषय पर केंद्रित इस व्याख्यान में उपस्थित विश्वविद्यालय की समकुलपति प्रो सुषमा यादव ने कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर एक विलक्षण व्यक्तित्व थे। भारत के इतिहास को बदलने का उन्हें अनेकों बार अवसर मिला और उन्होंने उसे बखूबी बदला भी।

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प्रो सुषमा यादव ने कहा कि जहाँ तक बात महिला अधिकारों की है तो अमेरिका, ब्रिटेन में महिला अधिकारों को लेकर जो स्थिति देखने को मिलती रही, उससे इतर भारत इस मोर्चे पर कहीं बेहतर नजर आया। शिक्षा का अधिकार, समानता का अधिकार ये सभी भारत को डॉ अंबेडकर की ही देन है। उनके द्वारा समाज हित में किए गए प्रयास भविष्य पर केंद्रित थे और आज भी समाज के विभिन्न वर्ग उनके प्रयासों से लाभांवित हो रहे हैं।  

व्याख्यान में स्वागत भाषण डॉ टी लोंग्कोई ने दिया। इसके पश्चात विशेषज्ञ वक्ता डॉ रमेश सिरोही ने कहा कि महिला अधिकारों पर केंद्रित इस व्याख्यान में डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा किए गए प्रयासों पर चर्चा हुई। अवश्य ही यह सभी प्रतिभागियों के लिए उपयोगी साबित होगा। ऐसा नहीं है कि कानून बनने के साथ ही कहिला अधिकारों, बाल अधिकारों व वंचित वर्ग केंद्रित अधिकारों पर विमर्श समाप्त हो जाता है। हमेशा ही इन विषयों पर आपसी विचार व संवाद के अवसर उपलब्ध रहते हैं और यह आयोजन ऐसी ही एक सकारात्मक कोशिश है। आयोजन में उपस्थित दूसरी विशेषज्ञ वक्ता डॉ जैनी रोवेना पी ने भी डॉ भीमराव अंबेडकर के द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में किए गए प्रयासों व विचारों की ओर ध्यान आकर्षित कराया और बताया कि किस तरह से वे उस दौर में भी महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रयासरत थे।

कार्यक्रम के आयोजन में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ के समन्वयक प्रो अंतरेश कुमार, प्रो दिनेश कुमार, डॉ जितेंद्र कुमार, डॉ राजरानी कुमारी, डॉ रश्मि तंवर, डॉ मुलाका मारूति, डॉ अनुरंजिता, डॉ शाहजहां, राकेश मीणा, डॉ रेनु, आदि ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने नुक्कड़ नाटक व महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित कवितापाठ भी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में डॉ मुलाका मारुति ने धन्यवााद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रो नीलम सांगवान, प्रो रंजन साहु,  डॉ कामराज सिंधु सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे।

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