कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न विषय पर कार्यशाला का आयोजन
महिलाओं के प्रति सोच में बदलाव की जरूरत: प्रो. प्रीति जैन
कुरुक्षेत्र : “आज के दौर में महिला सशक्तिकरण के लिए केवल कानून ही नहीं, बल्कि समाज की सोच में भी बदलाव ज़रूरी है।” यह विचार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय विधि संकाय की डीन व विभागाध्यक्ष प्रो. प्रीति जैन ने मंगलवार को व्यक्त किए। वे विश्वविद्यालय के प्रशिक्षण, योजना और निगरानी प्रकोष्ठ (TPMC) तथा आंतरिक शिकायत समिति (ICC) द्वारा आयोजित “कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013” विषयक कार्यशाला में बोल रही थीं।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। यह कार्यशाला फैकल्टी लॉज में आयोजित की गई, जिसमें विश्वविद्यालय के उप-कुलसचिव, सहायक कुलसचिव, अधीक्षक, उप-अधीक्षक सहित अनेक अधिकारी उपस्थित रहे।

प्रो. प्रीति जैन ने कहा कि महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपनी भागीदारी दर्ज करवा रही हैं, ऐसे में समाज के हर वर्ग को महिलाओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना होगा। उन्होंने कहा, “पुरुषों में आदर्श मूल्यों और पारंपरिक नैतिकता की कमी ही कई बार उन्हें अनुचित व्यवहार की ओर उकसाती है। सभी को गरिमामयी जीवन जीने का समान अधिकार है।” उन्होंने कार्यशाला में वीडियो क्लिप्स और उदाहरणों के माध्यम से यौन उत्पीड़न की परिभाषा, पहचान और रोकथाम की प्रक्रिया पर विस्तार से जानकारी दी।
कार्यक्रम में आईसीसी की अध्यक्ष प्रो. सुनीता सिरोहा ने विश्वविद्यालय की शून्य-सहिष्णुता नीति को रेखांकित करते हुए बताया कि संस्थान हर स्तर पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ गंभीर और सख्त है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय महिलाओं को सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

सत्र का समापन एक इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने अधिनियम के व्यावहारिक क्रियान्वयन, चुनौतियों और संभावित समाधानों पर चर्चा की।
इस अवसर पर प्रो. कुसुमलता (महिला चीफ वार्डन) सहित विश्वविद्यालय के अनेक वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।