भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में कृषि विज्ञान केन्द्र की 28वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन
बरेली : भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) में कृषि विज्ञान केन्द्र की 28वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन किया गया जिसमें वर्ष 2024 की बैठक की समीक्षा तथा परिपालन तथा आगामी वर्ष 2025 की कार्ययोजना पर विस्तृत चर्चा की गयी। इस बैठक में निदेशक, अटारी सहित उत्तर प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों के संयुक्त निदेशकों सहित अधिकारियों ने भाग लिया।



बैठक के उद्घाटन अवसर पर बोलते हुये संस्थान के निदेशक डॉ त्रिवेणी दत्त ने कहा कि आईवीआरआई स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र बरेली ही नहीं अपितु देश में अपनी कार्य प्रणाली के लिये जाना जाता है उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्र की कार्ययोजना को और अधिक प्रभावशाली बनाने हेतु बहुमूल्य सुझाव दिए गए। उन्होंने राज्य विभागों के सहयोग से मॉडल विलेज की स्थापना करने जहाँ कृषि एवं इससे जुड़े क्षेत्रों से जुड़ी जानकारी अवाम ट्रेनिंग पर विशेष ध्यान देने पर बल दिया जाए। इसके अतिरिक्त, प्रगतिशील किसानों, किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूह एवं ग्रामीण उद्यमियों को सशक्त करने हेतु बाजार से जोड़ने की दिशा में कार्य करने के निर्देश दिए गए।
डॉ दत्त ने भविष्य के आगामी कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुये कहा कि हमें परम्परागत कार्य पद्धति में बदलाव लाना होगा हमें किसानों के पास स्वयं जाकर कृषि, शोध शिक्षा सम्बन्धी कार्यों के बारे में जागरूकता पैदा करने होगी इसके लिये हमें बरेली जनपद के विभिन्न ब्लाक में जाकर कार्य करने होंगे तथा किसानों के बीच रहना होगा। उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों को कहा कि वे प्रत्येक ब्लाक मे कम से कम 15-20 दिन जरूर जायें तथा वहां जाकर वृक्षारोपण अवश्य करें। इसके अतिक्ति डॉ दत्त ने प्रगतिशील किसानों का समूह बनाने तथा हर ब्लाक में किसान मेला आयोजित करने की बात भी कही। डॉ दत्त ने संस्थान के वैज्ञानिकों को कहा कि हमें राज्य सरकार के साथ मिलकर हर ब्लाक में मॉडन विलेज विकसित करना होगा इसके अतिरिक्त उन्होंने ब्लाक स्तर पर गोट सीड, साहिवाल विलेज विकसित करने पर भी जोर दिया।
इस अवसर पर संस्थान की संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ रूपसी तिवारी ने कृषि विज्ञान केन्द्र बरेली के बारे में बताते हुये कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा वर्ष 1985-86 में इसे स्वीकृत किया गया था। संस्थान द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र को 13.77 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई तथा वर्ष 1999 में प्रशासनिक भवन की स्थापना के साथ कई प्रदर्शन इकाइयों की स्थापना की गयी जिनमें बीज उत्पादन इकाई, फसल कैफेटेरिया, मशरूम उत्पादन इकाई, मधुमक्खी पालन इकाई, वर्मी कम्पोस्ट इकाई, मछली सह बतख, मछली सह बकरी, मछली सह डेयरी एकीकृत कृषि प्रणाली आदि शामिल हैं। ये सभी मॉडल कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रशिक्षण कार्यक्रम ऑन फार्म ट्रायल और अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन गतिविधियों का सहयोग करते हैं।
डॉ राजेश कुमार, संयुक्त निदेशक (कृषि) द्वारा प्रधानमंत्री प्रणाम योजना एवं प्राकृतिक खेती के प्रचार-प्रसार के माध्यम से किसानों को जागरूक करने का सुझाव दिया गया, जिससे मृदा स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सके।
नाबार्ड एवं लीड बैंक प्रबंधक द्वारा फसल बीमा की जानकारी एवं लाभ किसानों तक पहुँचाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। इस अवसर पर उपस्थित वैज्ञानिकों ने भी किसानों की आजीविका में सुधार हेतु पशुपालन को समाहित करने के वैज्ञानिक सुझाव प्रस्तुत किए।
कृषि विज्ञान केन्द्र के विभागाध्यक्ष डॉ एच आर मीणा ने बैठक में गत वर्ष की गतिविधियों को प्रस्तुत किया इसके साथ ही उन्होंने बताया कि आगामी वर्ष में कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा फसल उत्पादन, उद्यान, मृदा स्वास्थ्य, पशुधन उत्पादन एवं प्रबन्धन, गृह विज्ञान/ महिला सशक्तिकरण, कृषि अभियांत्रिकी, पौध उत्पादन, मत्स्य पालन सम्बन्धी विविध कार्यक्रम किये जायेंगे। इसके अतिरिक्त किसान मेला एवं पशु स्वास्थ्य शिविर आदि का आयोजन किया जायेगा।
कार्यक्रम का संचालन कृषि विज्ञान केन्द्र के डॉ एच आर मीणा द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ रंजीत सिंह द्वारा दिया गया इस अवसर पर संस्थान के संयुक्त निदेशक, शैक्षणिक डॉ एस के मेंदीरत्ता, सयंुक्त निदेशक कैडराड डॉ सोहिनी डे, डॉ एस के दुबे, निदेशक अटारी, कानपुर, डॉ आर के सिंह, अपर निदेशक, पशुपालन, डॉ राजेश कुमार संयुक्त निदेशक कृषि, डॉ नीरजा सिंह, उप कृषि निदेशक, भूमि संरक्षण, डॉ श्याम कुमार गुप्ता, उपनिदेशक, उद्यान, जितेन्द्र कुमार, डीएचओ, डॉ संजीव दोहरे, मत्स्य पालन विभाग, विनीत शुक्ल, डिप्टी मैनेजेर, इफ्को, वी के अरोरा, एलडीएम, लीड बैंक, रश्मि अरोरा एस डी ओ मृदा संरक्षण सहित कृभको, नाबार्ड आदि सहित संस्थान के विभिन्न विभागों के विभाागाध्यक्षों ने भाग लिया।