नेचुरोपैथी चिकित्सा के विकास के लिए राजस्थान सरकार और जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के बीच 50 करोड़ रुपये का करार

लाडनूं : राजस्थान सरकार के आयुष विभाग और जैन विश्वभारती संस्थान के बीच नेचुरोपैथी चिकित्सा सुविधा के विकास के लिए 50 करोड़ रुपये की परियोजना का एमओयू (समझौता ज्ञापन) हुआ है। यह परियोजना जैविभा विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित आचार्य महाप्रज्ञ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल और प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान केंद्र के लिए है। इस परियोजना का उद्देश्य लाडनूं में नेचुरोपैथी चिकित्सा पद्धति के जरिए उपचार, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना है। 2025 से शुरू होने वाली इस परियोजना से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और बड़ी संख्या में लोग नेचुरोपैथी चिकित्सा से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकेंगे।

इस एमओयू पर राजस्थान सरकार के आयुष विभाग के आयुर्वेद निदेशक डॉ. आनंद कुमार शर्मा और जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. अजयपाल कौशिक ने हस्ताक्षर किए हैं। यह परियोजना पहले राजस्थान की पिछली सरकार के समय लंबित थी, जिसे वर्तमान सरकार ने मंजूरी दी है।

50 crore agreement between Government of Rajasthan and Jain Vishwabharti University for development of naturopathy therapy

विश्वविद्यालय के लिए नई दिशा: आचार्यश्री महाश्रमण का मार्गदर्शन
जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण ने विश्वविद्यालय के विकास के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को एक ऐसा केंद्र बनाना चाहिए जहां देश-विदेश से लोग जैन विद्या को जानने और समझने के लिए आएं। उन्होंने विश्वविद्यालय के 34 वर्षों के इतिहास को एक पुस्तक के रूप में संकलित करने का सुझाव भी दिया, ताकि विश्वविद्यालय के विकास की यात्रा और उसके प्रयासों को सहेजा जा सके।

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कुलपति का संदेश
जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों और योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम भारतीय संस्कृति, प्राच्य विद्या और जैन विद्या के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय अब आत्मनिर्भर हो चुका है और 10-15 करोड़ रुपये की योजनाओं को अपनी क्षमता से पूरा कर सकता है।

कुलाधिपति का प्रेरणादायक संदेश
केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने दीक्षांत समारोह में अपने संदेश में शिक्षा को नैतिक मूल्यों से समर्पित बताया। उन्होंने छात्रों से अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग करने का आग्रह करते हुए कहा कि धैर्य, पुरुषार्थ और आत्मविश्वास जीवन में हमेशा बनाए रखने चाहिए।

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यह एमओयू और आचार्यश्री महाश्रमण का मार्गदर्शन विश्वविद्यालय के लिए नई दिशा की शुरुआत साबित होगा, और यह परियोजना लाडनूं क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण विकास पहल साबित होगी।

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